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Lali Guras
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 स्वतन्त्र मधेश
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Posted on 01-08-07 11:12 AM     Reply [Subscribe]
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Free Madesh.

I was invited in http://madhesh.com/ . If it has already appeared at sajha please accept my apology for the repeat. One of the postings,

http://madhesh.com/blog/pivot/entry.php?id=16

reads .........


राज्यकी पुनर्संरचना या स्वतन्त्र मधेश


क्या राज्यकी पुनर्संरचना से मधेश की समस्याएँ सुलझाई जा सकती है ? क्या हमें एक स्वतन्त्र मधेश के लिए संघर्ष करना नहीं चाहिए ? राज्यकी पुनर्संरचना क्या कर सकती है और क्या नहीं, और हमें क्यों एक स्वतन्त्र मधेश के लिए ही संघर्ष करना चाहिए, उसके कुछ कारण निचे दिए जाते हैं ।

कारण-१
राज्यकी पुनर्संरचना के दौरान मधेश को एक अविभाज्य क्षेत्र बनाने के वजाय इसे दो या ज्यादा टुकडों मे बाँटने की सम्भावना ज्यादा है । ईसके लिए न केवल पहाडी या शासक वर्ग कोशिस करेगें, बल्कि उनके षडयन्त्र और ऐसा होने के परिणाम से अनभिज्ञ कई मधेशी समुदाय भी इनके जाल मे फंसे हुए हैं । मधेश के टुकडा होने से न केवल हमारी पहचान लोप हो जाएगा, बल्कि हमारी शक्ति को विभाजन करके हमे अपने अधिकार से सदा के लिए वंचित किया जाएगा । Divide और Conquer के सिद्धान्त अपनाते हुए वे हम पे सदाके लिए शासन करेगा और मधेशी अपने आधारभूत अधिकारों से भी सदाके लिए वंचित हो जाएगा ।


स्वतन्त्र मधेश ऐसा होने से रोक सकता है, मधेश को एक अखण्ड राज्य बना सकता है; ईसलिए हमे राज्यकी पुनर्संरचना के लिए ही नहीं, बल्कि एक अखण्ड स्वतन्त्र मधेश के लिए संघर्ष करना जरूरी है ।

कारण-२


मधेशकी जमीन सदियों से पहाडी प्रवासीयों (migrants) को दिया जा रहा है, झापा और चितवन जैसे जिल्लाओंमे पहाडी प्रवासीयों को लगभग पुरी तरह से settlement कर दिया गया है, और बाँकी जिल्लोंमे भी यह काम कभी land-reform तो कभी resettlement के नाम पे तीब्र गति से किया जा रहा है । क्या राज्यकी पुनर्संरचना से ही ये पहाडी migration की समस्या को सुलझाया जा सकता है, पहाडीयों को मधेशमे बसने से रोका जा सकता है ? अगर नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब और जिल्ला भी झापा या चितवन की तरह पूरी तरहसे पहाडीयों से भर जाएगा, और मधेशी केवल उनका दास बन कर रह जाएगा ।


ईस समस्या का समाधान एक स्वतन्त्र मधेश के बनने से ही हो सकता है, और ईसलिए हमे एक स्वतन्त्र मधेश बनाने के लिए संघर्ष करना जरूरी है ।

कारण-३


आज मधेशमे सारे बडे अफिसर और CDOs अक्सर पहाडी है, क्या राज्यकी पुनर्संरचना से ईसे रोका जा सकता है ? याद रहे, अगर पूरे मधेशी गाँवमे एक भी पहाडी आ जाता है, तो वही वहाँका leader बन जाता है, प्रशासन उसी एक को पुछता है, वही गावँका अध्यक्ष से लेकर उस क्षेत्रका MP तक बन जाता है । और राज्यकी पुनर्संरचना होने के बाद भी मधेशमे इतने सारे पहाडी रहेगा कि उसके शासन मे कोई बदलाव आएगा और मधेशी शोषित नहीं होगा, कहा नहीं जा सकता ।


ईस समस्या का समाधान एक स्वतन्त्र मधेश के निर्माण से ही हो सकता है, केवल राज्यकी पुनर्संरचना नहीं ।

कारण-४


ये बात छूपी हुई नहीं है कि सरकारी कामकाज और नौकरी ज्यादातर पहाडीयों को दिया जाता है, और मधेशी बेरोजगार होते रहे है । केवल राज्यकी पुनर्संरचना से आप कैसे उन पहाडीयों को, जो मधेशमे होगें और दूसरे क्षेत्रसे भी आएगें, मधेशमे कामकाज और नौकरी लेने से रोक पाएंगे ?


ये बात एक स्वतन्त्र मधेश के बनने से ही रोका जा सकता है, तभी ही मधेशकी नौकरी मधेशीको ही दिया जा सकता है, किसी विदेशी को नहीं ।

कारण-५


क्या केवल राज्यकी पुनर्संरचना से आप मधेशसे सभी सैनिक अड्डा हटा पाएंगे, और पूरे मधेशी सैनिक बना पाएगें ? और क्या ये कभी भी ग्यारेन्टी किया जा सकता है कि केन्द्रिय सरकार कभी मधेशमे सैनिक हस्तक्षेप नही करेगें ? कभी नहीं । और ईसका मतलव ये है कि केन्द्रिय सरकार जब चाहे ईन राज्यों पर जो चाहें कर सकतें हैं, कभी ईमर्जेन्सी तो कभी कर्फ्यू के नाम पर मधेशी की आवाज को सदैव दबा सकतें हैं । और हमें, हमारी माँ-बहनको, ईन पहाडी सैनिकों के खौफमे सदा की तरह जीते रहना पडेगा ।


और ईसका समाधान केवल एक स्वतन्त्र मधेश के बनने से ही हो सकता है, तभी ही मधेश का अपना सैनिक, और अपनी सुरक्षा-प्रणाली बनाया जासकता है ।

कारण-६


सदियों से मधेशी मेहनत करता रहा है, कमाता रहा है; और उनके पैसे से किसी पहाडमे सडक, नहर और पुल बनाया जा रहा है, पहाडमे नई शहर बनाया जा रहा है, और मधेश मे कोई विकास का नामों-निशान तक नहीं । क्या केवल राज्यकी पुनर्संरचना से ये ग्यारेन्टी किया जा सकता है कि मधेशी का पैसा मधेश मे ही लगाया जाएगा और हमे केन्द्रिय सरकार को कुछ नहीं देना पडेगा ?


ऐसा तभी हो सकता है जब हमारा मधेश स्वतन्त्र हो, तभी हम मधेशीके और दाता राष्ट्रके पैसे मधेश मे लगा सकतें हैं और मधेशको शीध्र ही काफी विकसित कर सकतें हैं ।

कारण-७


क्या केवल राज्यकी पुनर्संरचना से मधेशी देशमे और अन्तर्राष्ट्रिय जगतमे अपनी पहचान बना पाएँगे ? नेपाली दिखने के लाख कोशिस के वावजूद भी, एक मधेशी के “मै नेपाली हूँ” कहने पे, उससे “तुम नेपाली जैसा नहीं दिखते हो। नागरिकता दिखाओ।”नहीं कहा जाएगा ? सच्चाई तो यही है कि ‘नेपाल’ या ‘नेपाली’ शब्दमे हमारी कोई पहचान नहीं, ईन शब्दोंमे ऐसा कोई भी चीज या भाव नहीं जो मधेशी को समाबेश करता हो ।


स्वतन्त्र मधेश के बनने से हमारा एक देश होगा, हमारी पहचान होगी, जो मधेशी की संस्कृति, भाषा, रहन-सहन को समेटेगा और कोई हमारी पहचान के उपर ऐसा सवाल नहीं करेगा ।


ईसलिए ये जरूरी है कि हम एक अखण्ड स्वतन्त्र मधेश के लिए संघर्ष करें, न कि केवल राज्यकी पुनर्संरचना के लिए ।
 
Posted on 01-08-07 2:01 PM     Reply [Subscribe]
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you thread hamro pure madhesi dajubhai nabhai katai indian ko conspiracy ta haina? language pani hindi ma cha. k ho k. hamro madhesi daju bhai lie uchalera indian haru lay arko game nepali mathi kheleko ch. be careful. let us unite yar all nepali
jayamatadi
 
Posted on 01-08-07 4:53 PM     Reply [Subscribe]
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What will a new Madhes look like?

---

It will be like so many islands. For example, Chitwan and Makwanpur are not going to be part of any Madhesh, since all the population there are 'pahadiya'. (Sadbhabana didn't even file a candidate there). So, a new 'madhesh' is going to look like a state made up of siraha, saptari etc in the east and rupandehi and bake in the west. Like Pakistan before 1971.

I sympathize with a Madhesi cause, but look at the people who raise communal issues in Nepal? For example: Bimalendra Nidhi or JP Gupta and also Padma Ratna Tuladhar who talks about communal issues after being soundly beaten by his own people in KTM. They raised communal issue only after they were defeated by their own people. Sadbabana gets 3 percent vote, and that too, this party gets divided so frequently(now don't blame pahadiya for this).


The reality is:

1. Nepal's richest people are also madhesi/marwaris.
2. Nepal's smart people are also from Madhesh. Look at Engineers/Doctors.
3. Nepal's most corrupt/stupid/goondas are also, unfortunately, from Madhesh.

Those who are rejected by Madhesi themselves in different elections, and those who belong to number 3 talk about 'swatantra madesh', because they have no other way to earn money or power.
 


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