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Narayangarh suburb
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Posted on 04-19-12 2:24
PM
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आज अलिक मौलिक छौ
खै! अलौकिक पनि ?
सुन्यता
निखार अपर्याप्त
तर भूगोल असिमित
नियोजित हो या प्रायोजित
बिडम्बना !
सुन्यता
अवाक?
थकित?
त्रसित?
मिस्रित?
लाचार!
सुन्यता
सपना अधुरो
वैमनस्यता
समर्पणवाद ?
सुन्यता
मरहम बनाउ कि
अचुक अस्त्र
निर्बस्त्र
मेरो सुन्यता
Last edited: 19-Apr-12 02:24 PM
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Rahuldai
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Posted on 04-19-12 3:13
PM [Snapshot: 54]
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नारायाने को यो कबिता क्लिष्ट भए नि उत्कृष्ट लाग्यो . हिज्जे वा भाषागत चुक लाई सच्याउनु होला.
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Bhaktey
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Posted on 04-19-12 3:49
PM [Snapshot: 91]
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"निर्बस्त्र सुन्यता " वाह
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Geology Tiger
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Posted on 04-20-12 2:53
AM [Snapshot: 233]
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ल नारने गुरु, यो चाँही मेरो तर्फबाट यहाँको लागि
कहिले आउन पाउला त्यतातिर जस्तो भइरहेछ
शून्य हुने त केवल मन रहेछ
न्यानो प्रकाश थियो
शितल शितल हावा थियो
मिठो सुवास थियो
तर तिमी नहुनुको अनुभूति
एउटा शून्यता बनेर
एउटा रिक्तता बनेर
मेरो सामुन्ने गजधम्म बसेको थियो
तर बिस्तारै थाहा पाए मैले
शून्य हुने त केवल मन रहेछ
थाहा पायौ तिमीले?
बतास यही छ
प्रकाश यही छ
सुवास यही छ
तिमी छैनौ
अनि म हुन्न
तर सृस्टि रोक्किन्न
समय बाँधिन्न
खगोलका ति नक्षत्रहरु रोकिनन्
प्रकाशका ति किरणहरु छेकिनन्
त्यसैले तिमी नहुनु
मात्र तिमी नहुनु रहेछ
शून्य हुने त केवल मन रहेछ
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Pokhrelikanchi
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Posted on 04-20-12 9:04
AM [Snapshot: 302]
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Narayangarh suburb
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Posted on 04-20-12 2:14
PM [Snapshot: 353]
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ठुलदाइ, जिटी गुरु, भक्ते ज्यु र कान्छी महोदय :) अन्तरमनको सधन्यवाद स्वीकार गर्नु होला. गुरु तपाइको आगमन सुनौलो हुने छ..
उसिनेको आलु मात्र पनि
नुनिलो होला
खोले पक्कै पाक्छ
सिस्नु खोज्नु होला
सितन दुइ चार ग्रिष्म देखिकै उधारो
उन्नत नसलको यतै पाइन्छ
दुइ चार दिनलाई, वीकेंड भनौला
के भर जिन्दगीको, मरे मरौला
रमाइलो शुक्रबार !!!
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